Tuesday, April 10, 2012

Jago Sarkar jago

                   जागो    सरकार    जागो 

इकिस्वी  सदी  की  सरकार  जागो

हिंदुस्तान  की    सरकार    जागो


फर्क  क्या  है  आज  और  इतिहास  में

औरंगजेब  अँगरेज़  और  आप  में

तब  भी  इंसान  दबता था  दबाता था



आज  भी इंसान  भूख  से  मर जाता है

आप की  नीयत   और  नीतियां  है  कैसी

गरीब  किसान  कड़ी  मेहनत से  आपनी

 खाद्य अनाज  ढेर  उगता  है खून पसीने से

केवल  आप  के  कर्मचारी के  आलस के मारे

सड़क और रेल की पटरी के किनारे सड़  जाता है

भूख   से  बेहाल  है  बच्चे   बूढ़े   और   जवान


चूहे  ढेर  खाते और बर्बाद करते  है  अनाज

बच्चा  पैदा  होता तो  भी  रोता  है  इंसान

क्योकि जन्म परिणाम लेने को होता है परेशां

पढने  जाने  के लिए  भी चलना पड़े  लाचार

क्योकि स्कूल  जाने के लिए लाओ  इनाम

अथा मेहनत से  पढ़ लिख  कर  हुवे  नोजवान

नोकरी  पाने के लिए भी लाओ ढेर  गाँधी लाल

छटपटा   रहा  है  कड़ी  जंजीरों में हर  इंसान

छूटी  हंसी  हर किसी का मन  हुआ  उदास

रोते  हुए पैदा होता है  इस देश  आज  इंसान

और रोते रोते  करे  इस जहाँ  में आव्हान

और  बूढ़े  होने  पर  जब वह करे  प्रस्थान

तो  भी  सरकारी  अफसर  मांगे  इनाम

देना  है  जो  परिवार को मरण परिणाम

जागो  इंसान  जागो सरकारी इंसान

धरम युद्ध ना हो  परिणाम  जागो  इंसान !

स्वतंन्त्र  भारत  का  है  नव निर्माण

भ्रसटाचार  धसा  रग  रग  में

आम  आदमी मरता  हर पल में

भरे  भण्डार  सरकारी  है

फिर भी सब ओर  त्राहि त्राहि है

घर  बैठे  कर  आराम से  किसको

गरीब  की  गुहार  सुनाई देती है

रोते   दिल और   नम  आँखे

किसको  दिखाई  देती  हैं

बहार  निकल कर तो  देखो

आँख खोल कर  तो  देखो

आदमी आज  सड़क पर मरता है

निकल जाते  हैं  आँख चुरा कर सब

और  भूल  जाते  है  पल भर में

फर्क  किसको  पड़ता  है  आज

चंद रुपये में  तन और मन बिकता है

खुद  को  पता लगे जब  आपने पर बने

जो  इस देश में आसानी से होता नहीं

रुपये  के  गद्दे पर  मदहोश पड़े

जन  के  सेवक  होश  में  आओ

गरेबान  में  झांको  और  आँख दोढ़ाओ

घर के  बहार  भी  आप के  अपने  है

टिकटकी लगाये  शून्य आँखों  से

इंतज़ार  कर कर  थक न  जाये

धरये  कहीं  खों  न  बैठें  होश  में आओ

चंडी  का कहीं  आव्हान  हो  न  जाये

बजुर्ग  तो  सब  थक  हार   चुके

अपना  वक्त  सह कर  बिता  चुके



बच्चों  को  बीमार  देश  दे  चले

पढने  लिखने का अर्थ  है  क्या

जो बीमारी  जान  भी  भगा  न  सके

जागो  जवानों कमान  संभालो

खुद उठो  बजूर्गो  का  दामन थामो

देश में गंदगी से  बीमारी  फैली है

उसे  साफ़ कर  स्वस्थ बनाओ

रात की नींद दिन का चैन गवावो

देश में  भ्रस्टाचार  की दलदल को

गर्म जोशी की  लो  से  सुखाना  होगा

हर आदमी  को  सम्मान दिलाना होगा

शासनकारों को अपना  स्थान  याद दिलाना होगा

तिजोरियों में  सडती लक्ष्मी को बचाना होगा

विदेशों में  अपना  पड़ा धन लाना  होगा

उनकी  एश पर लगाम लगा कम कर

अपनों  की भूख को जल्द  मिटाना  होगा

जागो सरकार  में बैठे मंत्री जी जागो

 इस जहाँ  से  तुमको  भी  है  जाना जानो

 ढलती उम्र में कब  उसका  बुलावा आये

जवाब देने को जब काएनात बुलाये

क्या कहोगे  कितनो को तडपा के हो  आये

क्या कहोगे कितनो को तडपा  के हो आये

जागो सरकार जागो भारत की सरकार जागो ...........!






















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