जागो सरकार जागो
इकिस्वी सदी की सरकार जागो
हिंदुस्तान की सरकार जागो
फर्क क्या है आज और इतिहास में
औरंगजेब अँगरेज़ और आप में
तब भी इंसान दबता था दबाता था
आज भी इंसान भूख से मर जाता है
आप की नीयत और नीतियां है कैसी
गरीब किसान कड़ी मेहनत से आपनी
खाद्य अनाज ढेर उगता है खून पसीने से
केवल आप के कर्मचारी के आलस के मारे
सड़क और रेल की पटरी के किनारे सड़ जाता है
भूख से बेहाल है बच्चे बूढ़े और जवान
चूहे ढेर खाते और बर्बाद करते है अनाज
बच्चा पैदा होता तो भी रोता है इंसान
क्योकि जन्म परिणाम लेने को होता है परेशां
पढने जाने के लिए भी चलना पड़े लाचार
क्योकि स्कूल जाने के लिए लाओ इनाम
अथा मेहनत से पढ़ लिख कर हुवे नोजवान
नोकरी पाने के लिए भी लाओ ढेर गाँधी लाल
छटपटा रहा है कड़ी जंजीरों में हर इंसान
छूटी हंसी हर किसी का मन हुआ उदास
रोते हुए पैदा होता है इस देश आज इंसान
और रोते रोते करे इस जहाँ में आव्हान
और बूढ़े होने पर जब वह करे प्रस्थान
तो भी सरकारी अफसर मांगे इनाम
देना है जो परिवार को मरण परिणाम
जागो इंसान जागो सरकारी इंसान
धरम युद्ध ना हो परिणाम जागो इंसान !
स्वतंन्त्र भारत का है नव निर्माण
भ्रसटाचार धसा रग रग में
आम आदमी मरता हर पल में
भरे भण्डार सरकारी है
फिर भी सब ओर त्राहि त्राहि है
घर बैठे कर आराम से किसको
गरीब की गुहार सुनाई देती है
रोते दिल और नम आँखे
किसको दिखाई देती हैं
बहार निकल कर तो देखो
आँख खोल कर तो देखो
आदमी आज सड़क पर मरता है
निकल जाते हैं आँख चुरा कर सब
और भूल जाते है पल भर में
फर्क किसको पड़ता है आज
चंद रुपये में तन और मन बिकता है
खुद को पता लगे जब आपने पर बने
जो इस देश में आसानी से होता नहीं
रुपये के गद्दे पर मदहोश पड़े
जन के सेवक होश में आओ
गरेबान में झांको और आँख दोढ़ाओ
घर के बहार भी आप के अपने है
टिकटकी लगाये शून्य आँखों से
इंतज़ार कर कर थक न जाये
धरये कहीं खों न बैठें होश में आओ
चंडी का कहीं आव्हान हो न जाये
बजुर्ग तो सब थक हार चुके
अपना वक्त सह कर बिता चुके
बच्चों को बीमार देश दे चले
पढने लिखने का अर्थ है क्या
जो बीमारी जान भी भगा न सके
जागो जवानों कमान संभालो
खुद उठो बजूर्गो का दामन थामो
देश में गंदगी से बीमारी फैली है
उसे साफ़ कर स्वस्थ बनाओ
रात की नींद दिन का चैन गवावो
देश में भ्रस्टाचार की दलदल को
गर्म जोशी की लो से सुखाना होगा
हर आदमी को सम्मान दिलाना होगा
शासनकारों को अपना स्थान याद दिलाना होगा
तिजोरियों में सडती लक्ष्मी को बचाना होगा
विदेशों में अपना पड़ा धन लाना होगा
उनकी एश पर लगाम लगा कम कर
अपनों की भूख को जल्द मिटाना होगा
जागो सरकार में बैठे मंत्री जी जागो
इस जहाँ से तुमको भी है जाना जानो
ढलती उम्र में कब उसका बुलावा आये
जवाब देने को जब काएनात बुलाये
क्या कहोगे कितनो को तडपा के हो आये
क्या कहोगे कितनो को तडपा के हो आये
जागो सरकार जागो भारत की सरकार जागो ...........!
इकिस्वी सदी की सरकार जागो
हिंदुस्तान की सरकार जागो
फर्क क्या है आज और इतिहास में
औरंगजेब अँगरेज़ और आप में
तब भी इंसान दबता था दबाता था
आज भी इंसान भूख से मर जाता है
आप की नीयत और नीतियां है कैसी
गरीब किसान कड़ी मेहनत से आपनी
खाद्य अनाज ढेर उगता है खून पसीने से
केवल आप के कर्मचारी के आलस के मारे
सड़क और रेल की पटरी के किनारे सड़ जाता है
भूख से बेहाल है बच्चे बूढ़े और जवान
चूहे ढेर खाते और बर्बाद करते है अनाज
बच्चा पैदा होता तो भी रोता है इंसान
क्योकि जन्म परिणाम लेने को होता है परेशां
पढने जाने के लिए भी चलना पड़े लाचार
क्योकि स्कूल जाने के लिए लाओ इनाम
अथा मेहनत से पढ़ लिख कर हुवे नोजवान
नोकरी पाने के लिए भी लाओ ढेर गाँधी लाल
छटपटा रहा है कड़ी जंजीरों में हर इंसान
छूटी हंसी हर किसी का मन हुआ उदास
रोते हुए पैदा होता है इस देश आज इंसान
और रोते रोते करे इस जहाँ में आव्हान
और बूढ़े होने पर जब वह करे प्रस्थान
तो भी सरकारी अफसर मांगे इनाम
देना है जो परिवार को मरण परिणाम
जागो इंसान जागो सरकारी इंसान
धरम युद्ध ना हो परिणाम जागो इंसान !
स्वतंन्त्र भारत का है नव निर्माण
भ्रसटाचार धसा रग रग में
आम आदमी मरता हर पल में
भरे भण्डार सरकारी है
फिर भी सब ओर त्राहि त्राहि है
घर बैठे कर आराम से किसको
गरीब की गुहार सुनाई देती है
रोते दिल और नम आँखे
किसको दिखाई देती हैं
बहार निकल कर तो देखो
आँख खोल कर तो देखो
आदमी आज सड़क पर मरता है
निकल जाते हैं आँख चुरा कर सब
और भूल जाते है पल भर में
फर्क किसको पड़ता है आज
चंद रुपये में तन और मन बिकता है
खुद को पता लगे जब आपने पर बने
जो इस देश में आसानी से होता नहीं
रुपये के गद्दे पर मदहोश पड़े
जन के सेवक होश में आओ
गरेबान में झांको और आँख दोढ़ाओ
घर के बहार भी आप के अपने है
टिकटकी लगाये शून्य आँखों से
इंतज़ार कर कर थक न जाये
धरये कहीं खों न बैठें होश में आओ
चंडी का कहीं आव्हान हो न जाये
बजुर्ग तो सब थक हार चुके
अपना वक्त सह कर बिता चुके
बच्चों को बीमार देश दे चले
पढने लिखने का अर्थ है क्या
जो बीमारी जान भी भगा न सके
जागो जवानों कमान संभालो
खुद उठो बजूर्गो का दामन थामो
देश में गंदगी से बीमारी फैली है
उसे साफ़ कर स्वस्थ बनाओ
रात की नींद दिन का चैन गवावो
देश में भ्रस्टाचार की दलदल को
गर्म जोशी की लो से सुखाना होगा
हर आदमी को सम्मान दिलाना होगा
शासनकारों को अपना स्थान याद दिलाना होगा
तिजोरियों में सडती लक्ष्मी को बचाना होगा
विदेशों में अपना पड़ा धन लाना होगा
उनकी एश पर लगाम लगा कम कर
अपनों की भूख को जल्द मिटाना होगा
जागो सरकार में बैठे मंत्री जी जागो
इस जहाँ से तुमको भी है जाना जानो
ढलती उम्र में कब उसका बुलावा आये
जवाब देने को जब काएनात बुलाये
क्या कहोगे कितनो को तडपा के हो आये
क्या कहोगे कितनो को तडपा के हो आये
जागो सरकार जागो भारत की सरकार जागो ...........!
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